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Chaturth Mangal Sukhon ya Dukhon ka Aana Jaana | चतुर्थ मंगल सुखों या दुखों का आना जाना



हमारी कुंडली में जो चौथा भाव होता है वह सुखों का भाव होता है. हमारे जो मानसिक विचार होते हैं उन्हें इसी भाव से देखा जाता है. हमें माता के लिए और जिस मकान में हम रहते हैं उसके बारे में भी इसी भाव से जानकारी प्राप्त की जाती है. इसी भाव से वाहनों के लिए जानकारी ली जाती है. पानी तथा पानी वाले साधनों के लिए भी यही भाव माना जाता है. घर के अन्दर नींद भी इसी भाव से निकाली जाती है. यदि हम सहचर के भाव से देखते हैं तो यह भाव कर्म का भाव होता है. जातक के एक चौथे भाव में मंगल होने के कारण जातक स्वभाव से चिडचिडा हो जाता है. जातक अपनी जान पहचान के लोगों से लड़ाई करता रहता है. जातक का जो घर होता है उसमें इसी मंगल के कारण लोग झगडालू होते हैं. सभी व्यक्ति उस जातक के घर को अपने-अपने तर्क से शक्ति देने लगते हैं. जब हम वाहन चला रहे होतें हैं तो हमारे साथ में सडक पर जो और जो वाहन चल रहे होते हैं तो हम उन वाहनों से आगे निकल जाने की होड़ करते हैं. यह इसी मंगल के कारण होती है, जरा सी चूक हो जाने पर एक्सीडेंट हो जाता है, चोट लगती है और अस्पताल पहुँच जाते है. अपने वाहन को क्षतिग्रस्त कर लेते हैं. हमारा जो सहचर होता है उसके काम भी गुस्से से भरे होते हैं. जातक की जो माता होती है वह सहचर के कार्यों से हमेशा नाराज रहने लगती है. जातक के शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जातक चाहता है की उसका जो सहचर है वह उसके काबू में रहे.
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चतुर्थ मंगल सुखों या दुखों का आना जाना
चतुर्थ मंगल सुखों या दुखों का आना जाना

जातक जो होता है वह अपने पिता के कार्यों में दखल देने लगता है. जातक अपने बड़े भाई और दोस्तों के सामने एक प्रतिद्वंदी के रूप में खड़ा हो जाता है. सहचर के जो परिवार वाले होते हैं जातक उनसे एक सेनापति की तरह व्यव्हार करना शुरू कर देतें हैं. जातक का अपने घर वालों से मोह कम हो जाता है और बाहर वालों से जातक अधिक मोह रखने लगता है. जातक अपने सहचर से नाराज रहने लगता है. वह सहचर के शरीर, मन, और शिक्षा के प्रति भी नाराज रहता है. मंगल के चौथे भाव में होने से जातक का दिल शरबत की तरह मीठा होता है और वह सभी को अच्छा लगता है.
 
Chaturth Mangal Sukhon ya Dukhon ka Aana Jaana
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Chaturth Mangal Sukhon ya Dukhon ka Aana Jaana | चतुर्थ मंगल सुखों या दुखों का आना जाना,  Chaturth Mangal, Sukhon ka Aana Jaana, चतुर्थ मंगल, सुखों या दुखों का आना जाना, Humari Kundli mein jo chautha bhaav hota hai vah sukhon ka bhaav hota hai. Ye jo chaturth mangal ka bhav hota hai isi se such aate jate hai. Yahi silsila dukhon ka bhi hota hai.



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