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Adoosa kya or kaisa hota hai | अडूसा क्या और कैसा होता है | what is Adusa and how it is

अडूसा का गुणकारी औषधि के रूप में प्रयोग
            अडूसा का प्रयोग अधिकतर औषधि के रूप ही किया जाता है. यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा की पद्धतियों में अडूसा का उल्लेख एक प्रसिद्ध औषधि के रूप में किया गया है. अडूसा का प्रयोग खासतौर पर ख़ासी और साँस से सम्बंधित रोगों के ईलाज के लिए किया जाता है.रोगों को नष्ट  करने की दृष्टि से अडूसा एक बेहद ही उपयोगी औषधि है. 

           अडूसे के पौधे दो प्रकार के पाए जाते है. एक काले रंग का होता है तथा दूसरा सफेद रंग का होता है. अडूसे के पौधों की ऊचाई लगभग चार से आठ फुट की होती है. अडूसे के पत्ते लम्बे होते है. देखने में ये अमरुद के पत्तो की भांति लगते है. फरवरी मार्च के महीनो में अडूसे के पौधो पर फूल आते है. अडूसा एक झाड़ी दार पौधा है जो समूहों में उगता है. अडूसे के पौधे लगभग हर जगह पर उग जाते है. यह गाँव के खेतो के आस- पास तथा बाग – बगीचो के किनारे में समूहों के रूप में उगे हुए होते है. अडूसे की पत्तियों की लम्बाई 7 से 20 सेमी. तक होती है. इसका आकर भालाकार होता है. यह पत्तियां  रोमस होती है तथा इसके आगे का भाग लम्बा होता है. अडूसे का पत्रवृन्त 2.5 सेमी. लम्बा होता है. अडूसे के फुल 2.5 सेमी. से 7.5 सेमी. लम्बे सफेद वर्ण के द्विफलकीय मंजरियो में लगे होते है. अडूसे की फली 2 सेमी. लम्बी रोमस होती है. जिसके अंदर 4 – 4 बीज होते है. अडूसे पुरे भारत के मैदानी क्षेत्रों में तथा हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों में पाए जाते है. अडूसे के पौधे इन क्षत्रो में 1200 मीटर की ऊचाई तक पाए जाते है. 
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Adoosa kya or kaisa hota hai
Adoosa kya or kaisa hota hai
         अडूसा के लिए विभन्न भाषओं में विभिन्न नामों को प्रयुक्त किया जाता है. जैसे संस्कृत में इसे वासक , अटरूप नाम से जाना जाता है. हिंदी में अडूसा के लिए दो शब्दो का प्रयोग किया जाता है. वासा और विसोटा. मराठी भाषा में अडूसा के लिए अडुलसा शब्द प्रयोग किया जाता है. गुजराती में इसे अरडूसी नाम से जाना जाता है. बंगला में वासक नाम, से जाना जाता है. कन्नड़ भाषा में अडूसे के लिए शोगा , शोड़ी मलट नाम प्रचलित है. तेलगु भाषा में इसके लिए आदासरा शब्द प्रयोग किया जाता है. तमिल भाषा में इसके लिए एधाडड शब्द का प्रयोग किया जाता है. अंग्रेजी भाषा में इसे मालाबार नट के नाम से जाना जाता है. अडूसा का लैटिन नाम – आधाटोडा वासिका है. 

            काले अडूसे के पेड़ के पत्ते कुटकी के पत्ते की भांति मृदु होते है. अडूसे के पत्तो पर सफेद रंग या और किसी रंग के दाग नही होते. काले अडूसे के पेड़ अधिक उष्ण तथा कफनाशक होते है. सफेद अडूसे के पेड़ के पत्तो का रंग हरा होता है. इसके पत्तो पर सफेद धब्बे होते है, सफेद अडूसे के पौधो के  फुल सफेद रंग के होते है. 

          अडूसे का स्वाद कड़वा होता है. अडूसे का प्रयोग कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है. यह वातकारक होता है. अडूसा हल्का , तीक्ष्ण और कडवा होता है. यह हृदय की बीमारियों के लिए लाभदायक तथा शीतल होता है. यह पित्तशामक , कसैला और शीतवीर्य होता है. अडूसे का प्रयोग साँस की बीमारी में , ख़ासी – जुखाम होने पर किया जाता है. यह रक्तविकार, कृमी और वमन प्रमेह आदि रोगों के लिए लाभकारी होता है. यह पीलिया, रक्तपित्त हृदय रोग और तृषा जैसे रोगों से छुटकारा पाने के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होता है. इस के प्रयोग करने से सर्दी , कुष्ठ या अरुची भी ख़त्म हो जाती है. 
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अडूसा क्या और कैसा होता है
अडूसा क्या और कैसा होता है
         अडूसा की पत्तियों में अत्यंत अल्प मात्रा में वाष्पशील स्नेह उपस्थित होता है. अडूसा में कम मात्रा में एक क्रिस्टलीय क्षाराभ , क्रिस्टलीय अम्ल , वेसीसीन आदि पाए जाते है. अडूसा में बहुत ही कम मात्रा में वसा, राल, लवण आदि पाए जाते है. अडूसा की पत्तियों में वेसीसीन क्षाराभ की मात्रा 0.2 से 0.4 प्रतिशत होती है, तथा छाल में वेसीसीन की मात्रा 0.35 प्रतिशत विद्यमान होती है. जडो में वेसीसीन की मात्रा बहुत ही कम रूप में स्थित होती है. अडूसे की पत्तियों में एक तीक्ष्ण गंध होती है. इसकी पत्तियों में पीला रंग भी पाया जाता है.  
  
          अडूसे का प्रयोग दमा जैसी बीमारी से बचने के लिए भी किया जाता है. कफ के प्रकोप से बचने के लिए भी यह उपयोगी है. यह कफ को पूरी तरह से पिघलाकर शरीर से बहार निकलने में बहुत ही सहायक होता है. अडूसे का उपयोग ख़ासी, बुखार, पीलिया आदि बीमारियों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. इसके पत्तो को सूखी, कच्ची जड़ी – बूटी को बेचने वाली दुकान से खरीदा जा सकता है.

 
what is Adusa and how it is
what is Adusa and how it is

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